नागपत्री एक रहस्य(सीजन-2)-पार्ट-16

लक्षणा इस प्रकृति में सब कुछ पूर्व निर्धारित है। दिनकर जी का चंदा से विवाह। चंदा का और दिनकर जी का इस गांव में आना अपनी संतान की इच्छा से कुलदेवी के पास जाना और कुलदेवी नागमाता के द्वारा आशीर्वाद प्राप्त कर लौटते समय उनकी चुनरी के डूबे हुए जल को ग्रहण करना। यह कुछ भी सामान्य नहीं था। क्योंकि मां की चुनरी असंख्य ब्रह्मांड में फैली हुई महामाया है।

इस तरह तो तुम्हें जन्म से पूर्व ही उस महामाया की कृपा प्राप्त हो गई। फिर जब इतना सब कुछ पूर्व निर्धारित था तब इसी क्रम में बहुत पहले खुद चंदा को एक दैवीय शक्ति को गर्भ में संचित करने के लिए अपार भक्ति और शक्ति की परम आवश्यकता थी, और इसलिए खुद नागमाता ने गंधर्व लोक से इस तुलसी को लाया था। और साथ ही साथ में चमत्कारी पौधे भी उसी समय इस पृथ्वी लोक पर आए थे।

इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि प्रतिदिन पूजन से अनेक दैवीय  शक्तियों को चंदा खुद हासिल कर चुकी है। इसलिए वह सहज भाव से तुम्हारी हर बातों को स्वीकार कर लेती हैं। क्या तुम्हें पता है लक्षणा की जन्म से पूर्व ही नागपत्री के बहुत समीप एक बार तुम्हारे पिताजी पहुंच चुके हैं। जिसकी जानकारी उन्हें खुद नहीं है। तिलस्मी चाबी के दर्शन के समय तुम्हारे पिता ने जब अंतर्मन से नाग माता का आह्वान किया! उस समय नागपत्री विश्व भ्रमण पर थी। ठीक उसी तरह जैसे हर देवी देवता कुछ समय के लिए अपना मंदिर छोड़कर सामान्य जन मानस के बीच आते हैं। ताकि सामान्य जनमानस भी उनके दर्शन का लाभ ले सके।

ठीक उसी समय जब नागपत्री की झांकी वहां से गुजर रही थी। तब तुम्हारे पिता ने सच्चे मन से उन्हें प्रणाम कर उनका अंश मांगा था। यह सभी घटनाएं एक सूत्र में बंधे हुए माला की तरह है। जिन्हें गंभीरता से विचार करने पर ही समझ में आता है।

लक्षणा वर्षों से तुम्हारी कुलदेवी और तुम्हारी नानी मां के परिवार ने इन चमत्कारिक पौधों का सिंचन और पूजन अनजाने में ही बड़े प्रेम भाव से किया है, इसलिए मैं तुम्हें यह आशीर्वाद देता हूं कि जब नागपत्री तक पहुंचते समय तुम्हें गंधर्व द्वारा पार करने हेतु प्रश्नों के जवाब देना होगा। तब तुम्हें उनके जवाब में खुद तुम्हारे अंतर्मन में स्थित होकर दूंगा है। हे लक्षणा... अब इस तुलसी की एक पत्ती गृहण कर सच्चे मन से मुझे अपने हृदय स्थल में निवास दो।

लक्षणा ने ठीक वैसे ही किया। ठीक उसी समय तेज रोशनी के साथ एक प्रकाश कुंज वहां उपस्थित हुआ। जो लगभग अब तक अदृश्य सा था। जिसकी आवाज तो सुनाई दे रही थी, लेकिन दर्शन अभी प्राप्त हुए।

लक्षणा और कदंभ ने देखा उनके सामने गंधर्व राज एक विशेष दंड और कवच हाथ में लिए उपस्थित थे। उन्होंने उस कवच को कदंभ को प्राप्त किया और बताया कि संसार की समस्त शक्तियां उस स्थान पर जाकर विफल हो जाती हैं। जहां नागपत्री का निवास स्थान है। इसलिए कदंभ तुम्हें इस कवच की आवश्यकता होगी।

कदंभ याद रखना द्वार में प्रवेश तक तुम्हें लक्षणा के आगे चलना है, क्योंकि जैसे ही तुम उस पहले द्वारा के पास पहुंचेंगे, एक अखंड शक्ति जिसे सिर्फ एक बार वार प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त है। वह तुम पर आक्रमण करेगी और उस समय यह कवच टूट कर बिखर जाएगा। तब समझ लेना कि तुम उसके आगे जाने में सक्षम नहीं हो। आगे का रास्ता लक्षणा को अकेले ही तय करना होगा।

कदंभ ने आदर पूर्वक इस कवच को धारण किया और नतमस्तक हो, उन्हें धन्यवाद कहा। इसके पश्चात गंधर्व राज ने एक नागदंड लक्षणा को सौंपते हुए कहा। लक्षणा यह हमारे पास रखी गई एक विशेष धरोहर है। यह नाग दंड तुम्हारी रक्षा इन विषैले सांपों से करेगी। जिनकी फूंकार से निकलने वाले विष को छूकर और निकलने वाली हवा यदि किसी को छू भी जाए तो वह उसी पल जलकर भस्म हो जाएगी। लेकिन इस नागदंड के प्रभाव से तुम यदि जल पर भी पैर रखोगी, तो वह भी तुम्हें रास्ता दे देगा। और यह दंड तुम्हारे हाथ से छूटने के पश्चात भी तुम्हारे पास वापस लौट आएगा।

अर्थात इस बात का भय मत करना कि इसे कोई तुमसे छीन सकता है। क्योंकि जब तक तुम खुद नाग माता की मर्जी से इसे किसी दूसरे को ठीक मेरे ही तरह अगले युग में नहीं सोपोंगी।तब तक यह तुम्हारे ही साथ रहेगा। इसे किसी विशेष आदेश की आवश्यकता नहीं है। यह स्वयं संचालित है। संकट को सामने देख यह खुद तुम्हारे आसपास एक रक्षा कवच बना देगा।

लक्षणा तुम्हारी जानकारी के बिना यह धोखे से किए गए वार की भी अब तुम्हें चिंता नहीं करना। लक्षणा  यह सब तुम्हें यूं ही प्राप्त नहीं हो रहा है। अपितु तुम्हारे पूर्व जन्म में की तपस्या का फल हैं । फिर भी इस जन्म में भी तुमने मुझे प्रसन्न किया। इसके लिए मैं तुम्हें या वरदान देता हूं कि तुम जब चाहो तब अपनी परीछाया बनाकर अपने ही जैसे प्रतिरूप को एक ही स्थान पर छोड़कर आसानी से कहीं पर भी भ्रमण कर सकते हो। अर्थात् घर वालों को इस बात की चिंता ना होगी और पता भी ना लगेगा कि तुम किस मकसद से और कहां गई हो।

अब तक कि तुम्हारी सबसे बड़ी समस्या थी ना। फिर भी यदि आवश्यकता हो तो तुम मेरा स्मरण करके मदद प्राप्त कर सकती हो। इतना कहकर वह गंधर्व अंतर्ध्यान हो गए। लक्षणा ने खुशी-खुशी नाग दंड को प्रणाम कर अपने पास रखा और पुनः लौट खेत की मेड पर लगें हुए उन पेड़ों को जाकर देखने लगी।

लक्षणा ने देखा कि उन पेड़ों से निकलने वाली आभा उसके भीतर समा रही है। और देखते ही देखते हैं उन सभी वृक्षों ने  आशीर्वाद स्वरूप अपनी शक्तियां लक्षणा को प्रदान कर उनके महत्व को बताते चलें गए। अब सिर्फ और सिर्फ शेष बचा था तो नागराज की अनुमति ले ग्राम सीमा को पार करना और गुरु जी से मिलकर उस विशिष्ट चक्र को प्राप्त करना जो उनके मंदिर के गर्भ गृह में छिपा था।

लेकिन उसके पूर्व उस चक्र को इस्तेमाल करने की अनुमति और उसे धारण करने की शक्ति उन्हें उनकी कुल देवी के मंदिर में जाकर पंच द्वारो से वार्ता कर प्राप्त करनी होगी,,,,और यही सोच कदंभ और लक्षणा  चल पड़े...उस चमत्कारी पहाड़ी पर स्थित मंदिर की और........उसके बारे में पूर्व में भी वर्णन किया जा चुका है।

क्रमशः...

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1 Comments

Mohammed urooj khan

04-Nov-2023 12:31 PM

👍👍👍👍

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